सखियों, अपराध क्या है, दंडके कोनसे प्रावधान है, स्कूल,-कॉलेज-कार्यस्थलकी जिम्मेदारी बिना डरे निभाए, मेरा छोटासा प्रयास, Women’s Rights In India, Happy International Women’s Day, Friends. What are the women’s rights in India available for women’s protection ? इस सवाल का answer हम इस Motivational Article मे Women’s Rights In India post को जानेंगे।
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महिलाओं के लिए अधिकार भारत में, Women’s Rights In India In Constitution
legal rights of women क्या है ?? हम उनके बारे मे इस Article मे विस्तृत मे पढ़ेंगे। ताकि women’s protection in India को हम अपनी Responsibility समजे और हर क्षेत्र मे Women का Respect करे। MSW, SET, UGC-NET Student अभ्यर्थियोंको जानिए Women’s Rights In India महिलाओं के लिए अधिकार भारत में यह लेख विशेष मार्गदर्शक रहेगा। Parents, बच्चों और युवाओं के लिए Useful हमारी किताब e-book “Motivation for Youth Success” बड़े भी कभी बच्चे थे Amazon पर आप यहा से पढ़ सकते है।
महिलाओं के लिए अधिकार भारत में, Women’s Rights In India in hindi
जिस देश मे नारी शक्ति को पूजने की परंपरा रही हो वहा उनके साथ होने वाले अपराधों को रोकना सभी की समान जिम्मेदारी होती है। क्या हमारी बहनों को पता है क्या उनके लिए हमारे भारत के संविधान Indian Constitution ने उनकी स्वतंत्रता, समानता, सन्मानता के लिए उचित प्रावधान कानून के रूप में दिए है ?? हमे generally उन कानूनी प्रावधान और हमारे हक की हमे ही जानकारी नही होती।
इसके साथ साथ हमारी बहनों को सहते रहने की सलाह परंपरा से दी जाने के कारण अपराध क्या है इनके बारे मे भी पता नहीं होता, मेरा मानना है की कष्टों को सहन करना चाहिए अपराधोंकों नहीं !! जिस में महिलाकी मर्जी नहीं वो और नाबालिक के साथ हुआ हर दुर्व्यवहार अपराध है।
कोई कहेगा की जानकारी ले के भी क्या करेंगे जब अपराध होते है और कानूनी लड़ाई लंबी खिची जाती है, तो उसका क्या फायदा..!! उसका एक फायदा ये की मुजरिम किसी और के साथ अपराध दोहराने से डरेगा और दूसरा ये की हमे जानकारी हो तो हम अपने साथ अपराध रोकने में Confidently & Mentaly सजग रहेंगी। अपराध को समज सकेंगी, अपने हक से भी परिचित होंगी, और अपराधी को सजा भी दिलवा सकेंगी।
तथा कार्य स्थल पर निडर हो के अपना महत्वपूर्ण योगदान दे के विकास का हिस्सा बन सकेगी क्योंकि याद रहे मित्रों देश हो या दुनिया नारी शक्ति आधी आबादी है। आधी आबादी के development और Support के बिना सम्पूर्ण विकास अधूरा है। इस लिए हम Women’s Rights In India महिलाओं के लिए अधिकार भारत में इन नारी शक्ति को दी हुई सुरक्षा भेट को आज के दिन समजने की कोशिश करते है।
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भारतीय संविधान के अनुसार, महिलाओं के लिए अधिकार भारत में
भारतीय संविधान के अनुच्छेद 14, 15 धर्म, जाति, लिंग मूल वंश व जन्म स्थान समानता के आधार हैं। अनुच्छेद 15 (3) स्त्रियों के लिए विशेष सुविधाए देता है | अनुच्छेद 19 के तहत महिलाओंको स्वतंत्रता का अधिकार प्रदान किया गया है, इसके तहत वे देश मे कही भी आवागमन, व्यवसाय, निवास कर सकती है |
अनुच्छेद 23-24 के तहत महिलाओं के विरूद्ध होने वाले शोषण को नारी गरिमा का भंग मानते हुए और उचित न मानते हुए महिलाओं की खरीद-ब्रिकी, वेश्यावृत्ति के लिए जबरदस्ती करना, भीख मंगवाना इत्यादि अपराध को दंडनीय माना गया है।
अनुच्छेद 39 (क) में आर्थिक न्याय के लिए महिलाओं को जीविका के पर्याप्त साधन प्राप्त करने का अधिकार दिया गया है | अनुच्छेद 39 (द) में समान कार्य के लिए समान वेतन का प्रावधान है।
Special Safety Laws, महिलाओं के लिए सुरक्षा अधिकार भारत में
(1) CRPC की धारा 160 के तहत, महिलाओं को पुलिस स्टेशन पर पूछताछ के लिए नहीं बुलाया जा सकता है। महिला के घर पर ही उससे पुलिस महिला कॉस्टेबल या महिला के परिवार के सदस्य या उसकी महिला मित्र की उपस्थिति में पूछताछ कर सकते है।
(2) सुप्रीम कोर्ट के निर्देश के अनुसार रेप पीड़िता महिला किसी भी पुलिस स्टेशन पर अपनी शिकायत दर्ज करा सकती हैं। सीमा के बाहर का मामला बता कर इनकार नहीं किया जा सकता।
(3) महिलाये किसी भी समय अपनी शिकायत दर्ज करा सकती हैं और पुलिस उन्हें यह कहकर लौटा नहीं सकती है कि शिकायत काफी देर से की जा रही है। समाज में परिवार की इज्जत, रिश्तेदारों से मिलने वाली धमकी सहित तमाम वजहों से सुरक्षा हेतु यह विशेष सुरक्षा अधिकार महिलाओं को दिया गया है।
(4) CRPC की धारा 164 के तहत, बलात्कार पीड़िता महिला बिना किसी और की उपस्थिति में मजिस्ट्रेट के सामने अपना बयान दर्ज करा सकती है। वह चाहे तो महिला पुलिसकर्मी या अन्य पुलिस अधिकारी को अकेले में अपना बयान दे सकती है। यह गोपनीयता का अधिकार दिया गया है।
(5) पुलिस स्टेशन पर शिकायत करने गयी महिला को फ्री में कानूनी सलाह प्राप्त करने का अधिकार दिया गया है।
(6)सुप्रीम कोर्ट के निर्देशानुसार महिलाओं को सूरज ढलने के बाद और सूरज उगने से पहले गिरफ्तार नहीं किया जा सकता है। महिला कॉस्टेबल की उपस्थिति आवश्यक।
(7) महिलायें पुलिस स्टेशन शिकायत दर्ज कराने असमर्थ हो तो वह ई मेल या रजिस्टर्ड पोस्ट, इंटरनेट के माध्यम के जरिए अपनी शिकायत दर्ज करा सकती हैं।
(8) किसी महिला की शिकायत पुलिस दर्ज नहीं करती है, तो महिला सीधे कोर्ट जा सकती है।
(9) (IPC- 228-ए ) किसी भी स्थिति में ना तो पुलिस और ना ही मीडिया महिला की पहचान को सार्वजनिक नहीं किया जा सकता है।
(10) महिला के साथ रेप जैसे अपराधमे मेडिकल के क्षेत्र में अधिकार।
(11) किसी भी कंपनी या संस्था में काम करने वाली महिलाओं को शारीरिक शोषण से मुक्ति का अधिकार है। विशाखा मामला नियमनुसार सभी सरकारी या गैरसरकारी संस्थाओं में एक कमेटी तथा उसमे एक महिला का होना अनिर्वार्य है, जो इन मामलों की सुनावाई करे।
IPC की धारा द्वारा महिलाओं के लिए अधिकार भारत में
IPC की धारा 228 A के तहत, पीड़ित महिला की पहचान गुप्त रखी जाए वैसा न करने पर जुर्माना या 2 साल की कारावास।
IPC धारा 294 के तहत, सार्वजनिक स्थान पर महिला से की गई अभद्र भाषा, अश्लील हरकत पर पुलिस में मामला दर्ज करवा सकती है और दोष साबित होने पर कारावास या जुर्माना।
IPC धारा 306 के तहत, आत्महत्या के लिए उकसाने जैसे गंभीर अपराध पर दोषी को कारावास और आर्थिक दंड भी।
IPC धारा 312-315 के तहत, महिला के मर्जी के बिना किए गए गर्भपात और शिशु हत्या पर सजा का प्रावधान।
IPC धारा 493 के तहत, शादी के नाम पर फ़साने वाले दोषी को सजा, गैर जमानती अपराध।
IPC धारा 498 के तहत, दहेज प्रताड़ना संबंधी दोषी को सजा।
महिलाओं के लिए सामाजिक प्रतिरक्षा के तहेत बनाए गए सुरक्षा कानून:-
समय समय पर महिलाओं के साथ होने वाले अपराधों को रोकने के लिए देश मे कई कानून बने, जिसके तहत महिला शक्ति जागरूक और सुरक्षित बनी है। समानता के पक्षधर और समाजसुधारक राजाराम मोहन रॉय के प्रयासों से प्राप्त ‘सतीबंदी कानून’ तो आप सभी जानते होंगे …?? कैसा दौर होगा वो और कैसी असमानता ???
पती के मरण पर पत्नी को जींद चिता पर बैठना होता था। अब वो बाते पुरानी और आपराधिक हुई पर आज भी असमानता की वो जींदा मिसाले है। समाजसुधारक, शासन और सभी के प्रयासोंसे ही एसी गुलामी की बेड़िया टूटती है और टूटी भी है, सो आज की नारी अधिक सुरक्षित, सहज और समान महसूस करती है। जिसमे नीचे दिए हुए कुछ कानून मुख्य भूमिका निभाते हुए महिलाओंको सुरक्षा तथा दोषीओं को दंड प्रदान करते है।
- कमीशन ऑफ सती (प्रिवेन्शन) एक्ट, 1987
- ‘महिलाओं और लड़कियों के अनैतिक व्यापार का दमन अधिनियम, 1956
- परिवार न्यायालय अधिनियम, 1954
- हिन्दु उत्तराधिकारी अधिनियम, 1956 (संशोधन 2005)
- अनैतिक व्यापार निवारण अधिनियम,1956
- प्रसूति प्रसूविधा अधिनियम, 1961 (संशोधित 1995)
- दहेज प्रतिषेध अधिनियम, 1961
- गर्भ का चिकित्सकीय समापन अधिनियम, 1971
- समान पारिश्रमीक अधिनियम,1976
- इन्डिकेंट रिप्रेसेन्टेशन ऑफ वुमेन एक्ट 1986
- बाल विवाह प्रतिषेध अधिनियम 2006
- घरेलू हिंसा से संरक्षण अधिनियम 2005
- लैगिक अपराधोंसे बालकोंका सरक्षण अधिनियम, 2012 POCSO
- किशोर न्याय (बाल सुरक्षा एवं देखभाल) अधिनियम ,2015 j j act
- मैटर्निटी बेनिफिट (एमेंडमेंट) एक्ट, 2017
कोमल है मगर, कमजोर नही तू
ठान ले तो, उँचाइयाँ अंबर सी है तू
विवेक से ,सजग और नीडर बन तू
समानता,सक्षमता सब है तूझ मे तू
महिलाओं के सम्मान मे ये कुछ पंक्तीयां हमारी तरफ से समर्पित है !! जानिए Women’s Rights In India महिलाओं के लिए अधिकार भारत में इस Blog post के तहेत हमने Women’s को कुछ महत्वपूर्ण Rights और Safety laws की जानकारी देने की कोशिश की है। MSW,SET, UGC NET अभ्यर्थियोंको Women’s Rights In India यह लेख मार्गदर्शक हो यही अपेक्षा।
सखियों…,आपको जानकारी रहे की अपराध क्या और उनपर दंड के कोनसे प्रावधान होते है, ताकि आपके बीच निडरता कायम रहे। और अपने अपने कार्य, स्कूल, कॉलेज, कार्यस्थल की जिम्मेदारी बिना डरे निभाए, इस और ये मेरा छोटासा प्रयास। आप अपनी बाते हमे comment द्वारा बात सकते है! आज के International women’s Day पर सभी को meenajain.com की तरफ से शुभकामना…।