Shakti Rupena Samsthita:Poem
शक्ति रूपेण संस्थिता:कविता

शक्ति स्वरूप मा अम्बे से लिखी ये कविता सामाजिक संदेश के साथ नारी शक्ति पे सम्पन्न कर रही हु! Shakti Rupena Samsthita,Poem द्वारा शक्ति स्वरूप मा अम्बे की आराधना कर हम शक्ति की पूजा करते है! शक्ति स्वरूप मा अम्बे की स्तुति मे ये कुछ पंक्तीया पेश है…!
मा अंबे तेरी शान मे कुछ कहु…, ये नादान सी गुस्ताखी होगी…, पापी और दृष्टों की रूहँ …, तेरे दर्शन मात्रसे ही काँपती होगी…!!(1) दृष्ट, पापी तूझसे कंपित होते…, दूरसे ही मगर तूझको भजते…, बुद्धि के ताले तू है खोलती…, कृपा बरसाते तू न भेदभाव करती…!!(2) अंबा है माँ तू जगदंबा है, शेरोवाली दूर्गा तू शक्ति रूपा है, काली, चामुंडा तू असूर संहारणी है, घर-घर पूजी जाती कन्या देवी स्वरूपा है..!!(3) कोख मे न मारो कलीयों को… न दहेज की भेंट चढाओ…, शरीर पर हक ऊसका है…, जबरदस्ती हक न जताओ…!!(4) जब चूडियों वाले ये हाथ…, हिम्मत का गहेना पहेनेंगे…, वध ऊन भेडियोंका निश्र्चित होगा…, जब नारी शक्तिका एहसास होगा..!!(5) माँ, पत्नी, बहेन या हो दोस्त हरेक रूप मे नारी का सम्मान करो समान अधिकार की हकदार है सृष्टि की निर्मीती-जननी है ये…!!(6) एसा बल दो हे माँ दुर्गा,काली,चामुंडा, राक्षसी प्रवृत्तिओं के कलेजे काँप उठे, सब घर मंगल सुख-संपदा फलनारी, असूरी शक्तिओंकी तू सदा विनाशीनी हो..!! (7) -जय माँ शक्ति, जय माँ अम्बे
May god shakti always bless you all. Thanks, friends for reading this Shakti Rupena Samsthita: Poem शक्ति रूपेण संस्थिता:कविता